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हिटलरशाही : भोपाल की कोलार तहसील दे रही किसानों को कालेपानी की सजा

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हिटलरशाही : भोपाल की कोलार तहसील दे रही किसानों को कालेपानी की सजा

 

प्रदेश की राजधानी में किसानों की दुर्दशा तो बाकी जिलों में क्या होगा स्तर ?

 

मनीष कुमार राठौर / 8109571743

 

भोपाल । राजधानी भोपाल की तहसील कोलार में किसान के हाल बेहाल है तहसील और तहसीलदार के हिटलरशाही का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते है कि जहां पर नियम कानून और सरकारी आदेश सिर्फ कागजों तक सीमित है । मुख्यमंत्री का आदेश हो या कलेक्टर, कमिश्नर का पत्र यह सब रद्दी की टोकरी में दिखाई देते है, तभी पिछले 6 महीने से किसानों को उनके नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर लगाने पढ़ रहे है । क्योंकि साईबर तहसील और राजस्व महाअभियान किसान सहियोगी फैसले यह तहसीलदार और बाबू अपनी जेब में रखते है, तभी तो मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 के नियम भी इनके लिए कोई मायने नहीं रखते है । जब इन नियम कानून को कोलार तहसील ने मानना ही नहीं है तो क्या मतलब सरकार को इस प्रकार नियम बना कर किसान को परेशान करने से, आखिर क्या कसूर है इन किसानों का जिनके लिए नियम कानून उलझन बनाते जा रहे है तो किसी अधिकारी कर्मचारियों के लिए मलाई मारने का हथियार । बंद कर देना चाहिए प्रदेश की मोहन सरकार को ऐसे नियम को जिसका पालन करने और करवाने में उन्ही के अधिकारी कर्मचारी की इक्षुक नही है ?

 

 

*किसान लगा रहे कोलार तहसील के चक्कर*

 

कोलार तहसील के काले कारनामे में पहला नंबर आता है जमीन नामांतरण के लिए पिछले 6 महीनों से तहसील कार्यालय और बाबाओं के चक्कर लगा रहे किसान की जमीन को न ही साईबर तहसील न ही राजस्व महा अभियान और न की राजस्व अधिनियम के तहत निराकरण किया गया । जबकि किसान पिछले कई महीनों से कोलार तहसीलदार के चक्कर लगा रहा है, जबकि किसान का आरोप है कि उसके पास पूरे दस्ताजेव है नियमानुसार उसका काम किया जाना चाहिए परंतु कोलार तहसीलदार अकारण ही मेरा कार्य नही कर रहे है ।

 

क्या कहना है ।

 

शायद भोपाल कलेक्टर के किसान की समस्या को सुनने का समय नहीं है, क्योंकि फोन कॉल सिर्फ वीवीआईपी नंबर देख कर ही उठाए जाते है और एक पत्रकार या गरीब किसान जानकारी देने या लेने के लिए कार्यालय के चक्कर काटे या वो आवेदन देकर आए तो महज रद्दी की टोकरी में डालने के लिए स्वीकार किए जाते है ।

 

पिछले 6 महीने से कोलार तहसील के चक्कर लगा रहा हूं परंतु शाहब के पर मेरा काम करने के लिए टाइम नही है या मेरे पास बाबू को देने के लिए शायद कुछ नही है । तभी तो मेरा काम कोई नही कर रहा है ।

 

गरीब किसान कोलार

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